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सुरजा फ़ौज मैं था, साल भर पाच्छै छुट्टी आया ......


सुरजा फ़ौज मैं था, साल भर पाच्छै छुट्टी आया । सांझ-नैं उसकी बहू रामप्यारी बूझण लाग्गी अक आज कुण-सा साग बणाऊँ ?
सुरजा बोल्या - आलू एंड (and) गोभी रांध ले ! अर इतणा कह कै बाहर गाम मैं घूमण लिकड़-ग्या ।
रामप्यारी सोच मैं पड़-ग्यी - के घरां आलू बी सैं , गोभी बी सै । पर यो एंड (and) के होया ?
रामप्यारी अपणी पड़ोसण धोरै बूझण गई । पड़ोसण नैं बी कोणी बेरा था अक यो एंड के हो सै । उसनै सोची अक ना बताई तो रामप्यारी आगै बेजती हो ज्यागी ! पड़ोसण बोल्यी - एंड तो गोबर हो सै ।
बस, फेर के था ! रामप्यारी नै घरां आ-कै गोबर का छ्यौंक ला-कै साग बणा दिया ।
रोटी खाते टेम सुरजा बोल्या - आज तो सब्जी चरचरी बण रही सै !
रामप्यारी बोल्यी - एंड किमैं घणा पड़-ग्या होगा !!!