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कई किस्से असली नहीं होते


कई किस्से असली नहीं होते, बनावटी होते हैं - पर हंसाने वाले खूब होते हैं । ऐसा ही एक किस्सा सुनो ।

एक जाट गांव के स्कूल में मास्टर था । स्कूल के सामने ही पुलिस थाना था । एक दिन एक कुम्हार अपने गधों को लेकर स्कूल के सामने से गुजर रहा था कि एक गधे का बच्चा भागकर स्कूल में घुस गया और पीछे पेड़ों की ओट में चला गया । कुम्हार जब स्कूल में उसे ढूंढने गया तो मास्टर बोला "जा, भाग आड़े तैं" । कुम्हार बोल्या "ठीक सै, तू-ऐं राख ले उस गधे के बच्चे नै आपणै धोरै, उसनै पढ़ा-लिखा दिये" । मास्टर बोल्या - "ठीक सै" ।

कुम्हार चला गया और एक महीने बाद आया और मास्टर से उस गधे के बच्चे के बारे में पूछा । मास्टर बोल्या - "वो तै पढ़-लिख कै बड्डा आदमी हो-ग्या और थाणेदार बण-ग्या । देख वो बैठ्या थाणे आगै वर्दी पहने" ।

कुम्हार थाने पर पहुंचा और वहां बैठे थानेदार से बोला "अरै मेरा गधा का बच्चा, तू थाणेदार हो-ग्या?" थानेदार ने कुम्हार को पकड़ कर दो लात मारी । कुम्हार फिर बोल्या "आंछ्या, थाणेदार बण-ग्या पर लात मारण की बाण्य (आदत) ईब ताहीं ना छूटी" !!